प्रतियोगिता हेतु:--
"काशी विश्वनाथ" दोहे
नयनों में काशी बसे, जीवन सुख आधार,
विश्वनाथ काशी करें, नमन तुम्हें साकार ।।
निर्मल सहज स्वभाव हो, वाणी मधुर विचार,
विश्वनाथ काशी जपें, जीवन सुख का सार ।।
चरण कमल की वंदना, और करुं मनुहार,
दिव्य दर्श करके सदा, हरषुं बारंबार ।।
काशी में बसते सदा, शिव शंकर कैलाश,
पाप कटकर सभी मिलें, हमें मोक्ष आकाश ।।
धर्म पुण्य का क्षेत्र है, नगरी काशी धाम,
दीप ज्योति के शहर का, विदित जगत हो नाम ।।
प्रचुर हैं किंवदंतियां, ग्रंथों में साकार,
शिवशंभू के धाम पर, आता सब संसार ।।
गंगा तट पर है बसा, देखो काशी धाम,
साधु संत जपते यहाँ , शिवशंकर का नाम ।।
भक्त लोग आते यहाँ , लेकर अपनी आस,
पूर्ण करें शिव कामना, ले मन में विश्वास ।।
कण- कण काशी में बसे, शिवशंकर अवधूत,
दर्शन पाकर भक्तगण, हो जाते अभिभूत ।।
शुभ दर्शन पाएं सदा , जैसे चांद चकोर।
दुआ मांगते आपसे, होकर आत्मविभोर ।।
रचनाकार- रजनी कटारे
जबलपुर म. प्र.
shahil khan
18-May-2023 11:18 PM
Nice
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वानी
18-May-2023 06:51 PM
Nice
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Abhinav ji
18-May-2023 08:42 AM
Very nice 👍
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